सामान्य जानकारी
विकिरण चिकित्सा एवं क्षेत्रीय कैंसर केंद्र, जिपमेर
विभाग की पृष्ठभूमि जानकारियाँ
जब से रेडियोथेरेपी विभाग को 2002 में क्षेत्रीय कैंसर केंद्र (आर.सी.सी) का दर्जा मिला है तब से यह विभाग एक सम्पूर्ण रूप से विकसित कैंसर केंद्र के रूप में विकसित हुआ है। रेडिएशन ओंकोलॉजी प्रति वर्ष कैंसर के लगभग 3000 नए रोगियों और अनुवर्ती मुलाकात के लगभग 40,000 रोगियों को सेवाएं प्रदान करती है, इन रोगियों में अधिकाँश गर्भाशय, सर्विक्स, सिर और गले और स्तन की कैंसर वाले रोगी शामिल हैं। अत्याधुनिक उपचार मशीनों के उपयोग से उन्नत चिकित्सा उपचार तकनीकें खासकर इमेज-गाइडेड बाहरी रेडिएशन, इंटेंसिटी मॉड्यूलेटेड रेडिएशन और इमेज-गाइडेड ब्रैकिथेरेपी प्रस्तुत की जाती है। रेडिएशन ओंकोलॉजी एवं चिकित्सा विकिरण फिजिक्स की क्षेत्र में पर्याप्त विशेषज्ञों की उपलब्धता और भारी संख्या में रोगियों का आना, इन दो कारकों ने रेडिएशन ओंकोलॉजी कार्यक्रम के निवासियों और मेडिकल फिजिक्स और रेडियोथेरेपी प्रोद्योगिकी के विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्ता प्रशिक्षण प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त किया है। हमारे निवासियों और फैकल्टी द्वारा की गई अनुसंधानात्मक कार्यों की पोस्टर/मौखिक प्रस्तुतिकरणों नियमित रूप से कई क्षेत्रीय/ राष्ट्रीय सम्मेलनों में पेश की जाती है। विभाग का लक्ष्य उपलब्ध सभी संसाधनों के उपयोग से रोगियों को सर्वश्रेष्ठ संभव सेवाएं प्रदान करना, उच्च गुणवत्ता प्रशिक्षण प्रदान करना और साथ ही क्षेत्रीय कैंसर केंद्र (आर.सी.सी) और जिपमर की अन्य विभागों के साथ उत्तम दल भाव बनाए रख कर आर.सी.सी, जिपमर को ओंकोलॉजी में विश्व की अग्रणी संस्थान बनाना है।
शैक्षिक पाठ्यक्रम:
आर.सी.सी में शिक्षण कार्यक्रम: संस्थान की गतिविधियों में अधिस्नातक चिकित्सीय शिक्षा की एक विस्तृत कार्यक्रम शामिल है जिसमें चिकित्सा विज्ञान के सभी वर्गों की सामान्य एवं सुपर स्पेशलिटी क्षेत्रों में विशेषज्ञों की प्रशिक्षण शामिल है। इसके अनुसार, आर.सी.सी की शैक्षिक गतिविधियों में निम्न कार्यक्रम शामिल है:
- रेडियोथेरेपी में एम.डी: यह पाठ्यक्रम जून 2009 में आरंभ हुई थी, जिसमें आरंभ में 2 विद्यार्थियों को लिया जाता था। 2011-12 की शैक्षणिक सत्रों से 4 विद्यार्थियों को लिया जाता था और फिर 2014 में यह संख्या बढ़ाकर 6 कर दी गई है।
- मेडिकल फिजिक्स में एम.एस.सी: यह एक तीन वर्षीय पाठ्यक्रम है (दो वर्षों की पाठ्यक्रम एवं तीसरे वर्ष में प्रशिक्षण)। जनवरी 2014 में 4 विद्यार्थियों की प्रथम टोली के साथ यह पाठ्यक्रम आरम्भ हुई थी। इस पाठ्यक्रम के लिए ए.ई.आर.बी मंजूरी प्राप्त करने के बाद दूसरी टोली की शिक्षा आरम्भ की जाएगी।
- रेडियोथेरेपी प्रोद्योगिकी में बी.एस.सी (बी.एस.सी.ए.एम.एस-आर.टी.टी): जब जिपमर सांविधिक अधिकारों वाला एक स्वायत्त संस्थान बना; तब आतंरिक समितियों की स्वीकृति से नई पाठ्यक्रमों की शुरुआत की जा सकती थी। अतः, वर्ष 2010 में चिकित्सा विकिरण प्रोद्योगिकी में तीन-वर्षों की बी.एस.सी पाठ्यक्रम आरंभ की गई थी, जिसमें 4 विद्यार्थियों को शामिल किया गया था।
- नर्सिंग में अधि मूलभूत डिप्लोमा (ओंकोलॉजी): जनवरी 2014 में 10 विद्यार्थियों सहित ओंकोलॉजी नर्सिंग में एक वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम की शुरुआत की गई थी।
वर्ष के दौरान की गई विभागीय गतिविधियाँ:
राष्ट्रीय सम्मेलन/ कार्यशाला
- दि. 5 अप्रैल और 6 अगस्त 2017 को जिपमेर, पुदुच्चेरी में राष्ट्रीय एआरओआई (भारत के विकिरण चिकित्सकों की असोसिएशन) के 26 वें आईसीआरओ शिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ।
स्थानीय कार्यशाला / सीएमई
आ) 23 सितंबर 2017 को जिपमेर, पुदुच्चेरी में ऑन्कोलॉजी में प्रथम फाउंडेशन कोर्स
आयोजित किया गया।
इ) जिपमेर, पुदुच्चेरी में 10 मार्च 2018 को ऑन्कोलॉजी में द्वितीय फाउंडेशन कोर्स आयोजित किया गया।
आर.सी.सी. जिपमेर के विकास में मील के पत्थर
- 1964 – जिपमेर में रेडियोलॉजी विभाग की स्थापना और "कोलम्बो" के तहत एक कोबाल्ट -60 टेलीथेरेपी यूनिट का प्रावधान।
- 1971 - रेडियम और सीज़ियम स्रोतों का उपयोग कर जिपमेर में प्रीलोडेड ब्रैकीथैरेपी सुविधाएं शुरू हुईं।
- 1980 - ब्रैकीथेरेपी के लिए बी.ए.आर.सी. मैनुअल लोडिंग किट का उपयोग किया गया।
- 1982 - पहली कम्प्यूटरीकृत उपचार योजना।
- 1987 - रेडियोलॉजी विभाग को रेडियो-डायग्नोसिस और रेडियोथेरेपी विभागों के रूप में विभाजन किया।
- 1993 - जिपमेर रेडियोथेरेपी विभाग में थेरैट्रॉन 780 सी टेलीथेरेपी यूनिट की सुविधा।
- 1996 - ब्रैकीथेरेपी कमीशन के बाद उच्च खुराक दर।
- 2002 - रेडियोथेरेपी विभाग जिपमेर को क्षेत्रीय कैंसर केंद्र के रूप में दर्जा दिया गया।
- 2004 – आर.सी.सी. जिपमेर में सिंगल एनर्जी लीनियर एक्सेलेरेटर कमीशन।
- 2006 - 30 बेड का ऑन्कोलॉजी वार्ड शुरू हुआ।
- 2008 - एक्स-रे सिम्युलेटर का कमीशन; नया आरसीसी भवन 82 बेड और डे केयर सेंटर के साथ पूर्ण और विकसित।
- 2008 - एएमपिकॉन (एसोसिएशन ऑफ मेडिकल फिजिक्स ऑफ इंडिया, टीएन एंड पीवाई चैप्टर का वार्षिक सम्मेलन) का आयोजन किया गया।
- 2009 - नए आरसीसी भवन से मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग शुरू किया गया।
- मई: एमडी (रेडियोथेरेपी) के पहले बैच के छात्रों ने दाखिला लिया।
- 1 आर.सी.सी. - सितंबर में सी.एम.ई. का आयोजन।
- 2010 - नए संकाय, चिकित्सा भौतिकी क्षेत्र के कर्मचारियों की नियुक्ति।
- 2011 – नया ए.आर.आई.ए. टी.पी.एस., क्लिनाक iX रैखिक त्वरक, गामा मेड़ प्लस iX एच.डी.आर., टी सिम्युलेटर के साथ आर.सी.सी. में नए उपकरण ब्लॉक की शुरुआत हुई।
- टेलीमेडिसिन सुविधाएं जीएच यानम, मांड्या, किदवई संस्थान बैंगलोर और कांचीपुरम के साथ लिंक के साथ शुरू हुईं, ताकि चिकित्सकों को सीधे अपने रोगियों को भेजने के बिना जिपमेर के विशेषज्ञों से परामर्श कर सकें।
- मई: एमडी (आरटी) छात्रों की संख्या प्रति वर्ष बढ़कर 4 हो गई।
- अगस्त: मेडिकल ऑन्कोलॉजी के पहले बैच के डीएम फेलो के लिए दाखिला दिया गया।
- प्रथम 3 डी-सीआरटी उपचार नवंबर 2011 में शुरू हुआ।
- 2012 - जनवरी: 1 में आईएमआरटी उपचार शुरू हुआ।
- फरवरी: पहली रैपिड आर्क उपचार शुरू हुआ।
- अप्रैल: 8 वीं आरसीसी CME उपशामक देखभाल पर आयोजित की गई।
- सितंबर: ऑन-बोर्ड इमेजर (ओबीआईस्थापित, स्टी) रियोटैक्टिक आरटी सक्षम, आईसीयू सुविधा वाला विशेष वार्ड की सुविधा शुरू की गई।
- 2013 - जनवरी: पहला बोन मैरो ट्रांसप्लांट उपचार शुरू हुआ।
वर्तमान में आर.सी.सी. जिपमेर में उपलब्ध सुविधाओं की सूची
- उच्च परिशुद्धता दोहरी ऊर्जा रैखिक त्वरक क्लिनाक आई.ईक्स ओ.बी.आई. और ई.सी.एल.आई.पी.एस.ई. संस्करण के साथ 0 टी.पी.एस. 3 डी-सी.आर.टी. में सक्षम,
- आई.एम.आर.टी., आई.जी.आर.टी., वी.एम.ए.टी., इलेक्ट्रॉनों, एस.बी.आर.टी. टेलीथेरेपी।
- फ्रेमलेस स्टीरियोटैक्टिक रेडियो-सर्जरी।
- पारंपरिक टेलीथेरेपी के लिए एकल ऊर्जा रैखिक त्वरक।
- कोबॉल्ट -60 टेलीथेरेपी यूनिट।
- न्यूक्लेट्रॉन माइक्रो-सेलेक्ट्रॉन एच.डी.आर. ब्रैकीथेरेपी यूनिट।
- वेरियन गामा मेड प्लस आई.एक्स एच.डी.आर. ब्रैकीथेरेपी यूनिट।
- अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण की सुविधा।
- सीटी सिम्युलेटर
- एक्स-रे सिम्युलेटर।
- एक 500 एमए एक्स-रे यूनिट; एक 100 एमए मोबाइल एक्स-रे यूनिट।
- ब्रेकीथेरेपी में इंट्रा-कैविटी, इंट्रा-ल्यूमिनल, इंटरस्टीशियल और मोल्ड थेरेपी शामिल हैं।
- दोनों दिन देखभाल और रोगी कीमोथेरेपी।
- स्टेम कोशिकाओं के प्रत्यारोपण के लिए रक्त विकिरण।
- टेलिमेडिसिन।