सामान्य जानकारी
मनोचिकित्सा विज्ञान विभाग, मानसिक रोग तथा मादक द्रव्यों के सेवन संबधी विकारों वाले रोगियों को निरंतर उच्च गुणतापूर्ण देखभाल प्रदान कर रहा है। विभाग द्वारा मानसिक रोगों के निवारण के लिए उन रोगियों को परामर्श-संपर्क मनोचिकित्सा सेवा प्रदान की जाती है, जो चिकित्सीय रूप से बीमार होते हैं। विशेष क्लिन्इक तथा अंतर-विभागीय सहयोग द्वारा विभाग विभिन्न् प्रकार के विशेष लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करता है। विभाग को वर्ष 1964 में डॉ. एन. सी. सूर्या के अधीन भारत में मनोचकित्सिा में सर्वप्रथम जानपदिक रोगविज्ञान रोग (एपिडीमिऑलजि) अध्ययन करने का श्रेय दिया जाता है। डॉ. एन. सी. सूर्या भारत में मनोचकित्सिा के जनक के रूप में भी जाने जाते हैं। विभिन्न विषयों के स्नातकपूर्व और स्नातकोत्तर छात्र विभाग के संकायों के मार्गदर्शन में सिद्धांत और अनुसंधान में प्रशिक्षित होते हैं। डॉ. प्रीति कन्दासामी, सह आचार्य ने दिनांक 07 सितंबर 2020 को इस्तीफा दे दिया। बाल और किशोरावस्था की मनोचिकित्सा सेवाओं में उनका योगदान सराहनीय है। विभाग ने कोविड-19 महामारी के बावजूद शिक्षण और रोगी देखभाल सेवाएं जारी रखीं। टेली-मनोचिकित्सा ने सेवा प्रदाता के एक मॉडल के रूप में विशिष्टता हासिल की है।
Last Updated :29-Aug-2022