अनुसंधान
विभाग विभिन्न संकाय एवं रेज़िडेन्ट्स अनुसंधान परियोजनाएं चलाता है और जिपमेर के अन्य विभागों एवं अन्य संस्थानों के साथ सहयोग करता है। विभाग क्लिनिकल ट्रॉइअल में भी सहयोग कर रहा है। विभाग स्थानीय जनसंख्या में व्याप्त वृक्क रोगों को लक्षित करने वाले महामारी विज्ञान, चिकित्सकीय एवं निवारक पहलुओं को संबोधित करते हुए अनुसंधान पर ध्यान केन्द्रित करता है।
अनुसंधान के केन्द्र बिन्दु क्षेत्र
- सी.के.डी. ऑफ अन्आइडेन्टिफाइड – कम्यूनिटी प्रिवलेन्स, ईटिऑलजि एण्ड प्रिवेन्टिव उपाय।
- सार्कोपेनिय एण्ड एसिडोसिस इन सी.के.डी.।
- प्रेडिकटिव मॉडलस फॉर ए.के.आई. टू सी.के.डी. ट्रैन्ज़िशन।
- प्रैग्मटिक ट्रॉइअल्स ऑन क्रोनिक वृक्क डिज़ीज एण्ड ए.के.आई.।
- लिविन्ग वृक्क डॉनर इव़ैल्यूएशन एण्ड आउटकमस।
- डायलिसिस क्वालिटी एण्ड सेफ्टी।
- कोविड-19 इन पेशन्टस विथ इंड-स्टेज रीनल डिज़ीज।
- रेजिस्ट्री फॉर ग्लॉमेररूलर डिज़ीज।
जारी बाहरी वित्तपोषित परियोजनाएं
- इण्डियन क्रोनिक वृक्क डिज़ीज स्टडी।
- रीनल रजिस्ट्री।
- श्री नारायनदासजी सन्तराम महाराज इम्प्रूविन्ग डायलिसिस आउटकम इनिशिएटिव
- स्पॉन्सर्ड क्लिनिकल ट्रॉइअल्स – वी.आई.एस.649-201इनविज़न स्टडी
अनुसंधान कर्मचारी
- बवित्रा एस. – अनुसंधान सहयोगी
- विजयालक्ष्मी एम.एस. – परियोजना सहायक
- कुमारी जननी वी. – डेटा एन्ट्री ऑपरेटर
- नित्या वी. - डेटा एन्ट्री ऑपरेटर
- आर. हेमलक्ष्मी – क्लिनिकल ट्रैल्स समन्वयक
- श्रीलेखा अडगड़ा - फार्मेसिस्ट
प्रकाशन
- दुबे .ए.के, प्रियंवदा .पी.एस, साहू .जे, वैरप्पन .बी, हरिदासन .एस, परमेश्वरन .एस – ‘’एंथ्रोपोमेट्री-आधारितसमीकरणों की विश्वसनीयता प्रीडायलिसिस में शरीर की संरचना का आकलन करने केलिए दोहरी ऊर्जा अवशोषणमिति की तुलना में क्रोनिक किडनी रोग’’। -एक लांगिट्युडनिल स्टडी। ज. रेन न्यूट्र। 2020;30(3):216-222। डीओआई: 1053/j.jrn.2019.08.007।
- पी.एस.प्रियंवदा, चल्ला जसवंत, बॉबी जकारिया, सतीश हरिदासन, श्रीजीत परमेश्वरन, रथिनम पलमलै स्वामीनाथन – ‘’सांप के जहर के कारण तीव्र गुर्दे की चोट कापूर्वानुमान और दीर्घकालिक परिणाम। क्लिनिकल किडनी जर्नल, 2020; 13(4): 564–70, डी.ओ.आई: : 10.1093/ckj/sfz055
- एम. कुमार, पी.एस. प्रियंवदा, आर. गंगा, बी. हर्ष, एस. परमेश्वरन – ‘’नेफ्रोटिक सिंड्रोम में द्विपक्षीय पेरिनेफ्रिक संग्रह।‘’ इंडियन जर्नल ऑफ नेफ्रोलॉजी 2020: 30 (5), 346-346।डीओआई:4103/ijn.IJN_375_19
- कुमार .एम.एन, प्रियंवदा .पी.एस, चेल्लप्पन .ए, सुनूज .के.वी, श्रीनिवास .बी.एच, नचियप्पा गणेश .आर, संपत .ई, परमेश्वरन .एस –‘’मेम्ब्रेनस नेफ्रोपैथी सेकेंडरी टू स्वदेशी इंडियन मेडिसिन्स जिसमें हेवी मेटल्स शामिल हैं।‘’ किड्नी इंटरनेशनल रिपोर्ट्स (2020)5,1510–1531 डीओआई: 1016/j.ekir.2020.06.015
- एस. साई कृष्णा रेड्डी, मुक्ता व्यावहारे, पी.एस. प्रियंवदा, सौंदरवल्ली राजेंद्रन- ‘’विघटित सिरोसिस में यूरिनरी न्यूट्रोफिल जिलेटिनस-एसोसिएटेड लिपोकेलिन (एनजीएएल) की उपयोगिता।‘’ इंडियन ज. नेफ्रोल 2020; 30: 391-7 डीओआई: 4103/ijn.IJN_254_19
- परमेश्वरन .एस, रिनू .पी.के, कार .एस.एस, हरिचंद्रकुमार .के.टी, जेम्स .टी.डी, प्रियंवदा .पी.एस.पी, हरिदासन .एस, मोहन .एस, राधाकृष्णन .जे –‘’दक्षिण भारत में अनिर्धारित एटियलजि (सीकेडीयू) के सीकेडी का एक नया मान्यता प्राप्त स्थानिक क्षेत्र- "तोंडैमंडलम नेफ्रोपैथी"।किडनी इंट रेप। 2020, 15;5(11): 2066-2073।डीओआई: 1016/j.ekir.2020.08.032.
- अरिगा .के, दत्ता .टी.के, हरिदासन .एस, पिल्लै पुथेनपुरकल .पी.एस, हरिचंद्रकुमार .के.टी, परमेश्वरन .एस- ‘’क्रॉनिक किड्नी डिजीज आफ्टर स्नेक एनवेनमेशन इंड्यूस्ड एक्यूट किडनी इंजुरी।‘’ सऊदी ज. किड्नी डिस ट्रांसप्लांट 2021:32:146-56।डीओआई:4103/1319-2442.318516
- जिपमेर मृतक दाता प्रत्यारोपण समिति (जे.डी.डी.टी.सी)। भारत में एक सार्वजनिक क्षेत्र के अस्पताल में एक मृत दाता प्रत्यारोपण कार्यक्रम और उसके प्रभाव की स्थापना - भारत से एक एकल केंद्र अनुभव। इंडियन ज. ट्रांसप्लांट 2020; 14:321-32
- कुमार .एम.एस, विनोद .के.वी, पंडित .एन, शर्मा .वी.के, धनपति .एच, परमेश्वरन .एस– ‘’गैर-मधुमेह क्रोनिक किडनी रोग वाले भारतीय रोगियों में डिलेड गैस्ट्रिक एम्पटाइंग’’। इंडियन ज. नेफ्रोल 2021; 31:135-41
- इलवरसी .ए, नारायण .एस.के, परमेश्वरन .एस, श्रीनिवास .बी.एच, मणि .बी –‘’स्ट्रोक इन ए यंगमैन विद नेफ्रोपैथी और कार्डिएक थ्रॉम्बोसिस: एंटीफॉस्फोलिपिड सिंड्रोम की एक असामान्य प्रस्तुति।‘’ ज. क्लिन रुमेटोल. 2020 अक्टूबर 22
- अशोकचक्रवर्ती .के., मेधा .आर, परमेश्वरन .एस., सतीश .एस., प्रियदर्शिनी .जी., मोहन राज .पी.एस एवं अन्य- ‘’प्रि-डॉयलिसिय नॉन-डाइयबेटिक क्रॉनिक किड्नी रोग के रोगियों में एसिमेट्रिक डइमेथिलार्जिनाइन ऐंड ऐंजियोपॉइटिन लाइक प्रोटिन-2 जो इंडिपेंडन्ट प्रिटिक्टर्स ऑफ कार्डियोवैस्क्युलर रिस्क।’’ इंटरनेशनल यूरोलॉजी एंड नेफ्रोलॉजी (2020)52:1321–1328 https://डी.ओ.आई: .org/10.1007/s11255-020-02484-0।