सामान्य जानकारी
प्रो. डी.के.एस. सुब्रमण्यम के नेतृत्व में कायचिकित्सा विभाग, दिसम्बर 2019 से विश्व में अपना प्रकोप फैला रहे सिविअ अक्यूट रेस्पिरबल सिन्ड्रोम कोरोनावाइरस 2 (एस.ए.आर.एस. को. वी. 2) बीमारी कोविड- 19 महामारी का सामना करने के लिए चौबीसों घंटे नैदानिक सेवा प्रदान करने में सक्रिय रूप से शामिल है। संकाय और रेज़िडेन्ट्स आपातकालीन एवं सामान्य वार्ड, कोविड वार्ड तथा कोविड तीव्र देखभाल इकाईयों में रोगियों की देखभाल के लिए रात-दिन काम कर रहे हैं। इस समय के दौरान भी 50% से अधिक रेज़िडेन्ट्स कोविड- 19 से पॉज़िटिव हो चुके हैं। सामान्य दैनिक बहिरंग-रोगी सेवाएं टेलिफ़ोन परामर्श द्वारा प्रदान की गईं। इस रिपार्ट के संकलित होने तक सेवाएं धीरे-धीरे सामान्य हो रही हैं। दैनिक ओ.पी.डी. शुरू हो चुका है। साप्ताहिक चलने वाली मधुमेह, रक्तचाप, जराचिकित्सा, रुधिर विज्ञान, एच.आई.वी. और क्लिन्इकल जिनेटि्क्स क्लिन्इक अभी भी रूकी हुईं हैं। मधुमेह क्लिनिक सबसे बड़ी स्पेशिऐल्इटि क्लिन्इक में एक है जहाँ प्रतिमाह औसतन 3000 से अधिक रोगी आते हैं।
दिनांक 1 मार्च 2021 से जराचिकित्सा सेवाएं पूरी तरह से शुरू हो चुकी हैं। डॉ. डी.के.एस. सुब्रमण्यम और डॉ. वेणुगोपालन के नेतृत्व में 5 विशेष क्लिन्इक्स शुरू किए गए हैं। स्पेशिऐल्इटि क्लिन्इकों में कॉगनिटिव़ क्लिन्इक, फ़ॉल क्लिन्इक, ऑस्टि्अ-सार्कोपीनिया क्लिन्इक, फ़्रेल्टि क्लिन्इक और इन्कॉन्टिन्स क्लिन्इक शामिल हैं।
16 शय्याओं वाली एक चिकित्सीय तीव्र देखभाल इकाई (एम.आई.सी.यू) पू्र्ण क्षमता के साथ वर्ष 2011 से र्कार्यशील है। जबकि छः शय्याओं वाली एक हाई डिपेंडेंसी यूनिट (एच.डी.यू) का नवीकरण हो रहा है। वार्ड एवं विभागीय कार्यालयों का नवीकरण पूरा हो चुका है।
स्नातकपूर्व और स्नातकोत्तर (पी.जी.) शिक्षण के लिए एक सुव्यवस्थित शिक्षण कार्यक्रम विभाग की एक बेजोड़ शक्ति है। रोगियों की बड़ी संख्या होने से स्नातकोत्तरों (जिन्हें कनिष्ठ रेज़िडेन्ट भी कहा जाता है) के पास सीखने का एक सुअवसर है जिसमें वे संकाय की देखरेख में अपने नैदानिक निपुणता में सुधार के साथ विभिन्न प्रकार के कठिन और संकटपूर्ण मामलों के प्रबंधन के लिए प्रायोगिक अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। परिसंवाद, विषय पुनरीक्षण और उच्च कोटि के जर्नल लेखों पर चर्चा के ज़रिए प्रमाण आधारित औषधियों की कार्यप्रणाली पर बल दिया गया है। कनिष्ठ रेज़िडेन्ट्स को मौलिक बेड्साइड अल्ट्रासाउंड और एकोकार्डियोग्रॉफी में भी प्रशिक्षित किये जाते है और तृतीय सेमेस्टर तक वे सेंट्रल लाइन प्लेस्मन्ट, डाइऐल्इसिस कैथिट् इन्सःशन, टेम्पररि काडिऐक पेसिगं, पेरिकाडियोसटेंसिस, अंतः धमनीय लाइन लगाने, अल्ट्रासाउंड द्वारा निर्देशित गुर्दे और कलेजे की टेम्पररि बायोप्सी में सुप्रवीण हो जाते हैं। कभी कभी नर्व एवं मसल बॉयोप्सी भी की जाती है। रेज़िडेन्ट्स इमजन्सि एंडोट्रैकियल इन्ट्यूबेश्न और मिकैन्इकल वेन्टिलेशन में भी निपुण हैं।
संकाय सदस्यों के अनुसंधान की अभिरूचि स्थानीय रूप से फैले हुए संक्रामक रोगों, मधुमेह, चयापचय संबंधी रोगों, नैदानिक विष-विज्ञान, तीव्र देखभाल, नैदानिक कार्डियोलॉजी, नैदानिक वृक्क विज्ञान और नैदानिक वातरोग में है।