शैक्षिक

सन् 1973 में त्वचाविज्ञान, वेनेरियोलॉजी एवं लेप्रसि (प्रतिवर्ष 3 उम्मीदवार) में एम.डी. डिग्री पाठ्यक्रम शुरू किया गया था और सन् 1986 में कुष्ठ रोग में डिप्लोमा (प्रतिवर्ष 2 उम्मीदवार) शुरू किया गया। सन् 2010 से, लेप्रसि में डिप्लोमा (जिसे पहले त्वचाविज्ञान, वेनेरियोलॉजी एवं लेप्रसि में डिप्लोमा में परिवर्तित किया गया था) को समाप्त कर दिया गया था और सभी पाँच स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम सीटों को त्वचाविज्ञान, वेनेरियोलॉजी एवं लेप्रसि में एम.डी. डिग्री पाठ्यक्रम में बदल दिया गया था। सन् 2014 से, स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में दाखिला दो सत्रों जनवरी और जून में किया जाता है, जिसमें तीन उम्मीदवारों को प्रति सत्र में प्रवेश परीक्षा के माध्यम से चयनित पाठ्यक्रम में दाखिला दिया जाता है। दिनांक 31 मार्च 2021 तक, विभाग में 20 छात्र एम.डी., त्वचाविज्ञान, वेनेरियोलॉजी एवं लेप्रसि के लिए प्रशीक्षण प्राप्त कर रहे हैं, बालचिकित्सा त्वचाविज्ञान और त्वचाविज्ञान शल्यचिकित्सा व लेज़र में पोस्‍ट डिप्‍लोमा सर्टिफिकेट कोर्स (पी.डी.सी.सी.) और पीएच.डी. प्रत्येक में एक छात्र प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। छात्रों को तीन वर्ष के अन्त में निकासी परीक्षा (सिद्धांत और व्यावहारिक) में उत्तीर्ण होने के बाद एम.डी. डिग्री प्रदान की जाती है। पी.डी.सी.सी. छात्रों को एक वर्ष के अन्त में निकासी परीक्षा (सिद्धांत और व्यावहारिक) में उत्तीर्ण होने के बाद उनकी फेलोशिप डिग्री प्रदान की जाती है। पिछले वर्ष में, विभाग से 6 स्नातकोत्तरों को एम.डी. डिग्री से सम्मानित किया गया। विभाग में 5 वरिष्‍ठ रेजिडेंटस है। विभाग एम.बी.बी.एस. छात्रों के लिए व्याख्यान कक्षाएं और एम.बी.बी.एस. और नर्सिंग छात्रों के लिए बेडसाइड नैदानिक कक्षाएं भी आयोजित की जाती है।
प्रकाशित पुस्तकें :
डॉ. डीएम थप्पा चार पाठ्यपुस्तकों के संपादक रहे हैं - टेक्स्ट्बुक ऑफ डर्मेटोलॉजी, लेप्रोलॉजी एण्‍ड वेनेरोलॉजी और असेन्शलस इन डर्मेटोलॉजी फॉर अंडरग्रेजुएट्स और क्लिनिकल पीडियाट्रिक डर्मेटोलॉजी और पज़्लिंग केसस इन पीडियाट्रिक डर्मेटोलॉजी फॉर पोस्टग्रेजुएट्स।

Last Updated :23-Aug-2022