सामान्य सूचना
जवाहरलाल स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (जिपमेर) की स्थापना वर्ष 1823 में फ्रांस सरकार द्वारा इकोले डी मेडिसन डी पोन्डिच्चेरी के रूप में की। वास्तव में पोन्डिच्चेरी के भारत सरकार में सम्मिलित होने के दौरान वर्ष 1956 में धनवन्तरी मेडीकल कॉलेज के रूप में इसका पुनःनामकरण किया गया। जिपमेर अपने वर्तमान कैम्पस में 1964 में स्थापित हुआ और यह 192.2 एकड़ में फैला हुआ है। जिपमेर अपने स्नातक एवं स्नातकोत्तर चिकित्सा पाठ्यक्रम के लिए बहुत अच्छी तरह जाना जाता है और इसके पूर्व छात्रों ने दुनियाभर के विभिन्न विषयों में उत्कृष्ट प्रदर्षन किया है। 14 जुलाई, 2008 में, जिपमेर को संसद के एक अधिनियम द्वारा एक राष्ट्रीय महत्व की संस्था घोषित की गई एवं एक स्वायत्त बन गई। जिपमेर अधिनियम 2008 के खंड 23 व 24 तहत यह डिग्री अवार्ड करती है। जिपमेर में विभिन्न पाठ्यक्रम की पेशकश की जाती है। राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित प्रवेश परीक्षा के बाद प्रति वर्ष 150 छात्रों को लेते हुए यह एक एमबीबीएस पाठ्यक्रम आयोजित करता है। इसके अतिरिक्त, क्रमशः 23 विषयों में स्नातकोत्तर प्रोग्राम (एमडी/एस), 10 व 7 विषयों में सुपर स्पैशलिटी प्रोग्राम (डीएम/एमसीएच), 8 विषयों में पीएचडी प्रोग्राम एवं 4 विषयों में फैलोशिप प्रोग्रामों को प्रस्तुत किया। बीएससी नर्सिगं (75 सीट/वर्ष) 5 एमएससी नर्सिगं, 10 बीएससी अलाइड विज्ञान (58 सीट), 5 एमएससी अलाइड मेडिकल साइंस एवं एमपीएच (25 सीट/वर्ष) सहित जिपमेर अन्य पाठ्यक्रम भी आयोजित करता है।
जिपमेर एक वर्ष में दो बार स्वास्थ्य व्यावसायिकता के शिक्षकों हेतु शिक्षा विज्ञान पर दस दिन का एक राष्ट्रीय कोर्स आयोजित करता है। अपने राष्ट्रीय कोर्स को चालू रखने हेतु एनटीटीसी ऐसे 5 केन्द्रो में से केवल एक है एवं आज की तारीख तक शिक्षण तकनीकी में 1600 प्रतिभागियों से भी प्रशिक्षित किए गए हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग को 2015 में एक भारतीय चिकित्सा परिषद के क्षेत्रीय संकाय विकास केन्द्र के रूप में मान्यता दी गई है। जिपमेर अपने स्थापना से ही चिकित्सा विज्ञान में अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है। ये अनुसंधान गतिविधियां संकाय अनुसंधान परियोजनाओं, स्नातकोत्तर शोध प्रबंध कार्य, पीएचडी थीसिस कार्य एवं स्नातक अनुसंधान परियोजनाओं के रूप में हो सकती हैं एवं मानवीय एवं शारीरिक विषय सम्मिलित हो सकते हैं। जिपमेर के पास एक पूर्ण सुविधाओं सहित केन्द्रीय पुस्तकालय है जिसमें 75000 से भी अधिक किताबें, पत्रिकाऐं एवं एक कम्प्यूटर प्रयोगशाला है। जिपमेर में उत्कृष्ट स्वास्थ्य देखरेख की सुविधाएं (40 से भी अधिक विभाग) हैं एवं उपचार किए जाने वाले अधिकांश मरीज कम सामाजिक आर्थिक समूह के हैं। अस्पताल की वर्तमान में शय्याओं की संख्या 2059 एवं अनेक भर्ती प्रकोष्ठ हैं। मुख्य अस्पताल के अतिरिक्त, सुपर स्पैशलिटी ब्लॉक, आकस्मिक चिकित्सा सेवा, महिलाओं एवं बच्चों के अस्पताल और क्षैत्रीय कैन्सर केन्द्र पुदुच्चेरी व तमिलनाडु के कई जिलों से अधिकांश गरीब रोगियों के साथ आन्ध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल एवं बिहार के रोगियों को अलग-अलग क्षेत्रों में कलात्मक चिकित्सा देखरेख प्रदान की जाती है।ॉ
1.5 करोड़ से भी अधिक की वार्षिक ओपीडी भर्ती के साथ प्रतिदिन की औसत ओपीडी भर्ती 5000 से भी अधिक है। प्रतिदिन की औसत ईएमएस भर्ती 700 से अधिक एवं वार्षिक भर्ती 2 लाख से भी अधिक है। वार्षिक भर्तियाँ 60,000 से भी अधिक हैं अस्पताल वर्ष भर में 3.5 लाख से भी अधिक की जांचों का प्रदर्शन करता है। जिपमेर के पास लगभग 1100 छात्रों के रहने की सामान्य सुविधा के साथ एक स्प्रालिंग छात्रावास कॉम्प्लेक्स है। जिपमेर के ग्रामीण एवं नगरीय स्वास्थ्य केन्द्रों पर आउटरीच सुविधाओं में प्रत्येक सुविधा क्षेत्रों (लगभग 20000 की जनसंख्या) में लगभग 2000 परिवारों के लिए सेवा प्रावधान सम्मिलित हैं। वर्तमान में, सभी पाठ्यक्रमों में 2000 से भी अधिक स्नातक एवं स्नातकोत्तर के साथ जिपमेर कर्मचारियों की संख्या 5000 तक है एवं 300 से भी अधिक संकाय सदस्य हैं।
शिक्षा में नवाचार, रोगी प्रमुख अनुसंधान, जनसंख्या स्वास्थ्य एवं उत्कृष्ट सेवाओं के माध्यम से जिपमेर ने भारत में स्वास्थ्य प्रणाली के लिए एक मॉडल प्राप्त किया है। जिपमेर का उद्देश्य शिक्षा में नई तकनीकी के माध्यम से कंपेसिनेट, एथिकली स्वास्थ्य व्यावसायिकता विकसित करना एवं बड़ी मात्रा में संपूर्ण स्वास्थ्य संबंधी सेवाएँ प्रदान करना है जिससे लम्बी अवधि के स्वास्थ्य प्रशिक्षु और नेतृवकर्ता उत्पन्न हो सकें। दक्षिणी राज्यों (आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडू एवं पुदुच्चेरी) के 160 चिकित्सा कॉलेजों के लिए एनएमसीएन परियोजना (टेलीमेडिसन) के कार्यान्वयन हेतु जिपमेर क्षेत्रीय संसाधन केन्द्र (आरआरसी) है।